संस्थान की पत्रिका जैन विद्या में निम्नलिखित लेख प्रकाशित हो चुके है -
- जैन विद्या के अध्ययन की तकनीक - डॉ० सागरमल जैन
- सर्वोदय की भाव भूमि पर अनेकान्तवाद - डॉ० फूलचन्द जैनडोमी
- भारत तथा विदेशो में जैन विना का अध्ययन - डॉ० गोकुलचन्द्र जैन
- शरीर में अतीन्द्रिय ज्ञान के स्थान समणी -नियोजिका मंगलप्रज्ञा
- जैन वाड्मय में प्रातिहार्यः - प्रो० धर्मचन्द्र जैन
- उत्तराध्ययन में रंग चिकित्सा पद्घति -समणी सन्मति प्रजा
- जैन संस्कृत एवं प्राकृत व्याकरण - डॉ० रामसागर मिश्र
- जैन दर्शन का वैशिष्ट्य - डॉ० विजय कुमार जैन
- प्राकृत के मुक्तक एवं खण्डकाव्य - प्रो सुदर्शन लाल जैन
- भगवान महावीर के नामों का विवेचन -डॉ० हरिशंकर पाण्डेय
- अकलंकदेवकृत आत्ममीमांसा एवं लघीयस्त्रय के उद्घरणानो का अध्ययन - डॉ० कमलेश कुमार जैन
- बीसवीं शताब्दी की जैन संस्कृत रचनाये उनका वैश्ष्टि्य और प्रदेय ड्ढि- डॉ० भागचन्द्र जैन 'भागेन्दु'
- जैन योग के विभिन्न भेद - प्रो0 शिव बहादुर सिंह
- काशी की जैन मूर्तियॉ – प्रो0 कमल गरि
- बड़ाभानू के जैन स्तूप का एक अध्ययन - डॉ० एम०एल० निगम
- कुषाण युग मे जैन मूर्तियां - प्रो0 मारूतिनन्दन तिवारी
- हरियाणा में जैन वास्तुकला –प्रो0 एस०पी० शुक्ल
- प्रतिहार शासकों के समय जैन कला एवं वास्तुकला - डॉ० बृजेश कृष्णा
- भारतीय कला में आस्था मांगलिक का सामूहिक प्रतयक्षीकरण - डॉ० एल० श्रीवास्तव
- मध्ययुगीन भारतीय कला में नेमिनाथ -डॉ० अमर सिंह
- पन्द्रहवीं शताब्दी में पश्चिमी भारतीय कला में जैन एवं नान जैनी का ड्ढि तुल्नात्मक अध्ययन -डॉ० रश्मिकला अग्रवाल
- जैन विद्या में मंत्रों और परम्पराओं का पक्ष एवं उनका प्रयोग - श्री एम०सी० जोशी
- जैदशवीं शताब्दी के जैनिया के व्यापारिक सूचना – प्रो0 श्याम मनोहर मिश्र