अभिलेखीकरण की योजनायें

उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार का संक्षिप्त परिचय, उद्देष्य

उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार की स्थापना सन् 1949 में सेन्ट्रल रिकार्ड आफिस के रूप में शिक्षा विभाग, उ0प्र0 इलाहाबाद के कार्यालय में हुई थी, जिसे पृथक इमारत का आवंटन 53 महात्मा गांधी मार्ग, इलाहाबाद में सन् 1951 में किया गया। उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार को जुलाई, 1973 में अपने नवनिर्मित भवन (बी-44, महानगर विस्तार, लखनऊ) में स्थानान्तरित कर दिया गया। उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार, लखनऊ का विस्तार 1973 से प्रारम्भ हुआ। सन् 1973 में क्षेत्रीय अभिलेखागार व राजकीय पाण्डुलिपि पुस्तकालय, इलाहाबाद, सन् 1976 में क्षेत्रीय अभिलेखागार, वाराणसी, सन् 1977 में क्षेत्रीय अभिलेखागार, नैनीताल तथा सन् 1980 क्षेत्रीय अभिलेखागार, आगरा व देहरादून की स्थापना की गयी। क्षेत्रीय अभिलेखागार, नैनीताल व देहरादून वर्तमान समय में उत्तराखण्ड राज्य में हैं। उ0प्र0 राजकीय अभिलेखागार में सन् 1803 से अभिलेख संरक्षित हैं तथा व्यक्तिगत अधिकार से प्राप्त सन् 1540 से अभिलेख संरक्षित हैं।

इसके मुख्य उद्देष्य निम्नलिखित हैंः-

  1. उत्तर प्रदेश  सरकार के विभिन्न विभागों, मण्डलीय एवं जिला स्तर के कार्यालयों एवं अर्द्धशासकीय संस्थाओं में उपलब्ध ऐतिहासिक एवं प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण अभिलेखों का स्थानान्तरण करना।
  2. स्थानान्तरित अभिलेखों का समुचित वैज्ञानिक संरक्षण करना।
  3. शोध-छात्रों को शोध कार्य हेतु सहायता प्रदान करना।
  4. अभिलेखों की रिप्रोग्राफी सम्बन्धी सुविधाएं उपलब्ध कराना।
  5. व्यक्तिगत अधिकार में संरक्षित दुर्लभ पाण्डुलिपियों, प्रपत्रों, अभिलेखों, दुर्लभ पुस्तकों को प्राप्त करना एवं वैज्ञानिक संरक्षण सुनिश्चित करना। 
  6. अपेक्षानुसार शासन को सूचनाएं उपलब्ध कराना।
  7. अभिलेख नीति-1990 के अनुपालन के क्रम में जिलाधिकारी कार्यालयों के अभिलेख कक्ष के प्रभारियों एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
  8. अभिलेखों के रख-रखाव की सभी प्रक्रियाओं के सम्बन्ध में विभागों/कार्यालयों का मार्गदर्शन करना एवं परामर्श देना।
  9. अभिलेखों की महत्ता एवं ऐतिहासिकता के आधार पर मूल्यांकन करना।