प्रमुख कार्य योजनाएं एवं दायित्व

उ. प्र. राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा किये गये

प्रमुख कार्य  

अनुरक्षण कार्य –

  1. वार्षिक अनुरक्षण कार्य के अंतर्गत निम्नलिखित राज्य संरक्षित स्मारकों का केमिकल कन्जरवेशन एवं साफ सफाई का कार्य कराया गया : –
  • शुक्ला तालाब, कानपुर; गुप्तारघाट मंदिर, अयोध्या; वजीरगंज की बारादरी, गोंडा; हुलासखेड़ा मोहनलालगंज, लखनऊ; मेढक मंदिर, लखीमपुर खीरी; कर्दमेश्वर महादेव मंदिर, वाराणसी; गोवर्धन की छतरियां, मथुरा; संत कबीरदास की समाधि, मगहर, संत कबीर नगर; उदय सिंह की कचहरी, सासनी हाथरस; बरूआसागर का किला, झांसी ।
  1. वार्षिक अनुरक्षण कार्य के अंतर्गत निम्नलिखित राज्य संरक्षित स्मारकों का गेट, तार फेंसिंग, चहारदीवारी निर्माण एवं मरम्मत का कार्य कराया गया : –
  • रोशनुदौला कोठी, लखनऊ; गुरूधाम मंदिर, वाराणसी; सारनाथ मंदिर, लरवक, मिर्जापुर; कुसुमवन सरोवर, मथुरा; रसखान की समाधि, गोकुल, मथुरा; सराय नाहर राय, प्रतापगढ़; बाल्मिकी आश्रम कानपुर; अकबर का शिकारगाह, किरावली, आगरा; रधुनाथराव का महल, झांसी; सोंख, मथुरा ।
  1. राज्य संरक्षित स्मारक कुसुमवन सरोवर पर सांस्कृतिक सूचना पट्ट स्थापन का कार्य कराया गया ।

1857 के पूर्व के मंदिरों का सूचीकरण / अभिलेखीकरण

1857 के पूर्व के मंदिरों के सूचीकरण के अंतर्गत जनपद अयोध्या के 124 मंदिर, वाराणसी के 258, मीरजापुर के 41, सोनभद्र के 14, जौनपुर के 17, आगरा के 09, कानपुर के 35, कन्नौज के 11, लखनऊ के 32, झांसी के 110, ललितपुर के 64, महोबा के 107, चित्रकूट के 25, बांदा के 37, प्रयागराज के 32, कौशाम्बी के 14, फतेहपुर के 22, प्रतापगढ़ के 35, संत रविदास नगर के 15, बाराबंकी के 20, गोरखपुर के 53, वृन्दावन के 54, मथुरा के 39, बहराइच के 46 मंदिर अर्थात् अब तक कुल 1297 मंदिरों को सूचीबद्ध किया गया है ।

सर्वेक्षण कार्य –

  1. वर्ष 2019-20 में सई नदी के किनारे स्थित जनपद प्रतापगढ़ अन्तर्गत मुस्तफाबाद से भगतपुर तक का ग्राम स्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण कार्य किया गया। तदन्तर्गत 21 पुरास्थल प्रकाश में आयें । इन पुरास्थलों से टेराकोटा मनके, टेराकोटा सिक्का, मोहरें, मृदभांड, प्रतिमायें आदि पुरावशेष प्राप्त हुये. प्राप्त पुरावशेषों के आधार पर इन पुरास्थलों का समय काल लगभग मौर्यकाल से उत्तर मध्यकाल तक माना जा सकता है ।
  2. वर्ष 2019-20 में जनपद गोण्डा की तहसील तरबगंज के विकासखंड नवाबगंज में ग्राम स्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण कार्य किया गया । तदन्तर्गत 25 पुरास्थल प्रकाश में आयें । इन पुरास्थलों से मृदभांड, स्त्री मृदमूर्ति, झाँवा (SCEEN RUBBER), मंदिर आदि पुरावशेष प्राप्त हुये । प्राप्त पुरावशेषों के आधार पर इन पुरास्थलों का समय काल लगभग 800 ई0 पू0 से उत्तर मध्यकाल तक माना जा सकता है ।
  3. वर्ष 2019-20 में जनपद जौनपुर के अन्तर्गत केराकत तहसील का ग्राम स्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण कार्य किया गया। तदन्तर्गत 40 से अधिक पुरास्थल प्रकाश में आयें । इन पुरास्थलों से प्राप्त मृदभांडों, पुरावशेषों, प्रतिमाओं एवं वास्तुवशेषों के आधार पर इन पुरास्थलों का समय काल लगभग 1000 ई0पू0 से 18वीं शती ई0 तक माना जा सकता है ।
  4. वर्ष 2019-20 में जनपद बांदा के बबेरू तहसील का ग्राम स्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण किया गया। तदन्तर्गत 40 पुरास्थल प्रकाश में आयें । इन पुरास्थलों से मृदभांड, टेराकोटा मनके, प्रस्तर मनके, ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण सीलिंग, मंदिर आदि पुरावशेष प्राप्त हुये। प्राप्त पुरावशेषों के आधार पर इन पुरास्थलों का समय काल लगभग 600 ई0 पू0 से उत्तर मध्यकाल तक माना जा सकता है ।
  5. वर्ष 2019-20 में जनपद हमीरपुर के अन्तर्गत गोहन्द विकासखंड का ग्राम स्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण किया गया। तदन्तर्गत 48 पुरास्थल प्रकाश में आयें । इन पुरास्थलों से मृदभांड, टेराकोटा मनके, पाषाण उपकरण, द्वारशाखा का भग्न अधोभाग, लाख की चूड़ियाँ, विष्णु और हनुमान जी की प्रतिमाएं आदि पुरावशेष प्राप्त हुये। प्राप्त पुरावशेषों के आधार पर इन पुरास्थलों का समय काल लगभग 300 ई0 पू0 से उत्तर मध्यकाल तक माना जा सकता है ।
  6. वर्ष 2019-20 में जनपद बरेली के फतेहगंज पश्चिमी विकास खण्ड में ग्राम स्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण किया गया। तदन्तर्गत 14 पुरास्थल प्रकाश में आयें । इन पुरास्थलों से मृदभांड, ईंट संरचना, वास्तुवशेष आदि पुरावशेष प्राप्त हुये. प्राप्त पुरावशेषों के आधार पर इन पुरास्थलों का समय काल लगभग प्रथम ई0 से उत्तर मध्यकाल तक माना जा सकता है ।
  7. जनपद संत कबीर नगर के अन्तर्गत विकास खण्ड सांथा का ग्राम स्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण कार्य किया गया। तदन्तर्गत 20 पुरास्थल प्रकाश में आयें । इन पुरास्थलों से मृदभांड, स्त्री मृदमूर्ति, झाँवा (SCEEN RUBBER) आदि पुरावशेष प्राप्त हुये. प्राप्त पुरावशेषों के आधार पर इन पुरास्थलों का समय काल लगभग 800 ई0 पू0 से उत्तर मध्यकाल तक माना जा सकता है ।

प्रकाशन कार्य –

  1. राज्य संरक्षित स्मारक कुसुम वन सरोवर, गोकुल, मथुरा का अभिलेखीकरण एवं उसकी ऐतिहासिकता पर आधारित रंगीन पुस्तिका का प्रकाशन कराया गया।
  2. राज्य संरक्षित पुरास्थल राजधानी टीला, महराजगंज की ऐतिहासिकता पर आधारित रंगीन फोल्डर का मुद्रण कराया गया ।
  3. विकासखण्ड मेंहदावल, जनपद संत कबीर नगर के ग्रामस्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण से सम्बन्धित रिपोर्ट तैयार की गयी ।
  4. बबेरू तहसील, जनपद बांदा के ग्राम स्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण से सम्बन्धित रिपोर्ट तैयार की गयी ।
  5. गोहन्द विकासखंड, जनपद हमीरपुर के ग्राम स्तरीय पुरातात्विक सर्वेक्षण से सम्बन्धित रिपोर्ट तैयार की गयी ।

कोविड -19 के दृष्टिगत प्रमुख शैक्षणिक कार्यक्रम –

  • विश्व धरोहर दिवस (18 अप्रैल, 2020) के अवसर पर उ० प्र० राज्य पुरातत्व निदेशालय, लखनऊ द्वारा प्रदेश के ऐतिहासिक स्मारकों / पुरास्थलों पर आधारित ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा पुरस्कार स्वरुप स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
  • विश्व धरोहर दिवस (18 अप्रैल, 2020) के अवसर पर क्षेत्रीय पुरातत्त्व इकाई, वाराणसी द्वारा प्रदेश के ऐतिहासिक स्मारकों / पुरास्थलों पर आधारित ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता और फोटोग्राफी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा पुरस्कार स्वरुप स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
  • विश्व धरोहर दिवस (18 अप्रैल, 2020) के अवसर पर क्षेत्रीय पुरातत्त्व इकाई, झाँसी द्वारा प्रदेश के ऐतिहासिक स्मारकों / पुरास्थलों पर आधारित एक ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा पुरस्कार स्वरुप स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र वितरित किये गये ।
  • वन महोत्सव (01– 07 जुलाई, 2020) के अंतर्गत उ० प्र० राज्य पुरातत्व निदेशालय, लखनऊ द्वारा छतर मंजिल परिसर में पौधरोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया तथा प्रतियोगियों को नकद पुरस्कार एवं प्रमाणपत्र वितरित किये गये ।
  • भूजल सप्ताह (16 – 22 जुलाई, 2020 ) के अवसर पर उ० प्र० राज्य पुरातत्त्व निदेशालय, लखनऊ द्वारा ऑनलाइन पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।
  • मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पोर्टल के अंतर्गत विभागीय फेसबुक, ट्वीटर, इन्स्टाग्राम एवं यू – ट्यूब चैनल का संचालन किया जा रहा है ।

 

 

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