इत्र और इतिहास की नगरी कान्यकुब्ज वर्तमान जिला कन्नौज ईसा की द्दठी शती के उत्तरार्द्घ से लेकर बारहवीं शती ई० के अन्त तक उत्तर भारत का महत्वपूर्ण अग्रणी नगरों मे से एक था। कन्नौज लगभग ६०० वर्ष तक उत्तर भारत का केन्द्र बिन्दु था, जहां मौखरी वंश, वर्द्घन वंश, प्रतिहार वंश, गहड़वाल वंश पुष्पित पल्लवित हुयें नवीं शती ई० में कन्नौज दक्षिण के राष्ट्रकूट, पूर्व के पाल और उत्तर पश्चिम के प्रतिहार शक्तियों के मध्य त्रिकोणात्मक शक्ति संतुलन का केन्द्र बन गया था। जिस प्रकार मौर्य युग से लेकर गुप्त काल तक पाटलिपुत्र (पटना) का शासक भारत का सार्वभौम चक्रवर्ती सम्राट माना जाता था, उसी प्रकार हर्षोत्तर काल में कान्यकुब्जाधिपति को शक्ति का प्रतीक माना जाता था। कन्नौज संग्रहालय समिति ने २५ फरवरी १९७५ को कन्नौज में संग्रहालय की स्थापना की। कन्नौज संग्रहालय में प्रागैतिहासिक अस्थि उपकरण महाभारत कालीन स्लेटी भूरे चित्रित पात्र, उत्तरी कृष्ण मार्जित मृदभांड, मृर्तिका, पाटल, मुद्रा, सील, सिक्के, मृण्मूर्ति, हाथी दांत की कलाकृतियों, मनकें, पाषाण प्रतिमाएं संग्रहीत है, जिसमें विशेष रावणानुग्रह, भैरवरूप में विषपान तपस्विनी पार्वती, कार्तिकेय, नृत्य गणेश, विष्णु, विश्वरूप विष्णु, हरिहर, सूर्य प्रतिमाएं, ब्रहमा, अग्नि, देवी प्रतिमाएं महिषासुरमर्दिनी दुर्गा, शांत रूप दुर्गा, चामुण्डा, सप्तमातृका, नौगृह, तीर्थकर प्रतिमाएं संग्रहीत है। यह संग्रहालय प्रतिहार काल की कलाकृतियों के लिये विश्वविख्यात है। २९ फरवरी १९९६ को पुरातत्वᅠसंग्रहालय को शासकीय संग्रहालय घोषित करते हुये राजकीय पुरातत्व संग्रहालय का स्वरूप प्रदान किया गया।
1. | प्रवेश शुल्क | निःशुल्क |
2. | साप्ताहिक अवकाश | सोमवार |
3. | अन्य अवकाश | द्वितीय शनिवार के पश्चात आने वाला रविवार तथा अन्य राजपत्रित अवकाश |
4. | भ्रमण समय | १०:३० पूर्वान्ह से ४:३० अपरान्ह |