राजकीय बौद्घ संग्रहालय, गोरखपुर

राजकीय-बौद्घ-संग्रहालय-गोरखपुर

पूर्वी उ० प्र० बौद्घ धर्म के उद्‌भव व विकास ह्रदय स्थल रहा है। महात्मा बुद्घ के जीवन की घटनाओं से सम्बन्धित स्थान- लुम्बिनी, कोलियो का रामग्राम कोपिया एवं तथागत की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर इसके मुख्य साक्ष्य है। भगवान बुद्घ की स्मृतियों से जुड़ा होने के कारण पर्यटन की दृष्टि से यह अन्तर्राष्ट्रीय महत्व का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में यत्र-यत्र बिखरी कला सम्पदा एवं देश

के अन्य भागों से प्राप्त कलाकृतियों का संकलन, अभिलेखीकरण,शोध एवं प्रदर्शन कर जनसामान्य को इसके गरिमामय इतिहास की जानकारी प्राप्त कराने के उद्‌देश्य से वर्ष १९८६-८७ में राजकीय बौद्घ संग्रहालय गोरखपुर की स्थापना की गई जो वर्तमान में रामगढ़ताल परियोजना के अन्तर्गत स्थित है। संग्रहालय भवन गोरखपुर रेलवे स्टेशन व बस स्टेशन से लगभग ६ किलोमीटर दक्षिण एवं सर्किट हाउस से १ किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित है। इस संग्रहालय का लोकापर्ण दिनांक ४ मई १९९७ को माननीय सुश्री मायावती जी मुख्यमंत्री उ० प्र० के कर कमलो द्वारा सम्पन्न हुआ।

सम्प्रति संग्रहालय में चार वीथिकाएं जनसामान्य के अवलोकनार्थ खुली हुई है। प्रथम वीथिका राहुल सांस्कृत्यायन कला वीथिका में बौद्घ धर्म से सम्बन्धित कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है। कलाकृतियों में महात्मा बुद्घ के विविध मुद्राओं यथा-धर्मचक्र प्रवर्तन अभय ध्यान भू-स्पर्श मुद्रा एवं महापरिनिर्वाण मुद्रा का प्रदर्शन किया गया है।

लघुचित्र, शैव और वैष्णव धर्म से सम्बन्धित धातु मुर्तियॉ, हाथी दॉत की मूर्तियॉ और नवग्रह युक्त लोटा, साधु मस्तक, तिब्बती थंका तथा क्षेत्रीय पुरास्थलों से प्राप्त मृण्पात्रों का प्रदर्शन किया गया है। तृतीय वीथिका हिन्दू मूर्ति कला दीर्घा में नृत्यरत अष्टभुजी गणेश, त्रिशूलधारी शिव, शेषशायी विष्णु, स्थानिक विष्णु सप्तमातृकाएं, वाराही, नवग्रह एंव कुषाण कालीन कुबेर एंव कसौटी पत्थर पर बनी पाल शैली की उमा महेश्वर की प्रतिमा प्रदर्शनीय है। चतुर्थ वीथिका मृण्मूर्ति कला दीर्घा में राजधानी व बनरसिया कला (महराजगंज), कोपिया (संत कबीर नगर ) आदि पुरास्थलों से प्राप्त मृण्मूतियॉ शुंगकाल से गुप्तकाल तक का प्रतिनिधित्व करती है। प्रदर्शित कलाकृतियों में शिशु का आहार करती हुयी डाकिनी पशु सिर युक्त मोढ़े पर बैठी मातृका शुक सारिका विविध पशु आकृति मत्स्य व जलपात्र विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

संग्रहालय में एक सन्दर्भ पुस्तकालय भी है जिसमे कुल ११४६ पुस्तके प्राचीन भारतीय इतिहास पुरातत्व कला एवं बौद्घ धर्म से सम्बन्धितᅠहैं।ᅠगोरखपुर विश्वविद्यालय सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से आये द्दात्र-द्दात्राओं को अपेक्षित सहयोग प्रदान किया जाता है एवं पुस्तकालय की सुविधा प्रदान की जाती है।

संग्रहालय में प्रागैतिहासिक कलाकृतियों के साथ साथ प्रस्तर, मृण, धातु मूर्तियॉ, सिक्के, लघुचित्र, थंका, हाथी दॉत एंव हस्तलिखित ग्रन्थ आदि का संकलन है, जिनकी कुल संख्या वर्तमान में ३४७१ है। संग्रहालय पूर्वाचंल के गरिमामय इतिहास कला एवं संस्कृति के बहुमुखी विकास हेतु सतत्‌ प्रयत्नशील है।

शैक्षिक गतिविधियों के अन्तर्गत माह अप्रैल में डा. अम्बेडकर चित्र प्रदर्शनी, माह मई में चित्रकला प्रतियोगिता, माह जून में क्ले माडलिंग प्रतियोगिता, माह अगस्त में संग्रहालय ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। माह सितम्बर में पूर्वाचंल की पुरासम्पदा विषयक व्याख्यान, माह अक्टूबर में कबीर की प्रासंगिकता पर निबन्ध/भाषण प्रतियोगिता तथा माह नवम्बर में फिल्म शो का आयोजन किया गया।

1. प्रवेश शुल्क निःशुल्क
2. साप्ताहिक अवकाश सोमवार
3. अन्य अवकाश द्वितीय शनिवार के पश्चात आने वाला रविवार तथा अन्य राजपत्रित अवकाश
4. भ्रमण समय १०:३० पूर्वान्ह से ४:३० अपरान्ह
5. दूरभाष/फैक्स 0551-2