उ० प्र० की लोक कलाओं के संकलन, संरक्षण एवं प्रदर्शन की दिशा में कार्यरत लोक कला संग्रहालय की स्थापना फरवरी, १९८९ में कैसरबाग, लखनऊ मे की गयी। यह प्रदेश का एक मात्र लोक कलाओं से संबंधित संग्रहालय है। लोक कला संग्रहालय में उ० प्र० की ऐसी तमाम उत्कृष्ट एवं दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है। जिनका प्रचलन या तो सामान्यतः समाप्त प्राय है या फिर उनका मूल स्वरूपᅠपरिवर्तित हो गया। इस संग्रह के
अन्तर्गत लोक नृत्यों के डायरमा,लोकवाद्य, लोक आलेखन,लोक आभूषण,मुखौटा,टेराकोटा, बर्तन, खिलौने, पोशाक, लकड़ी, पत्थर एवं लोहे निर्मित प्रदर्श लगभग १६०० की मात्रा में उपलब्ध है। भूमि एवं भित्ति अंलकरण से सम्बन्धित लोक चित्रों का विशाल संग्रह संग्रहालय में उपलब्ध है।
संग्रहालय में क्षेत्रवार अलग अलग प्रदर्शन हेतु प्रदेश के पॉच प्रमुख क्षेत्रों की अलग अलग पॉच वीथिकाओं यथा ब्रज, भोजपुर, अवध, बुन्देलखण्ड एवं रूहेल खण्ड का निर्माण कराया गया। जिसमें ब्रज, भोजपुर, बुन्देलखण्ड, एवं अवध क्षेत्र की रहन सहन की शैली पर आधारित झोपड़ी, मकान आदि भी बनाये गये है। वर्तमान मे दो वीथिकाओं बुन्देलखण्ड और अवध की वीथिका का निर्माण और आधुनिकीकरण किया गया है। प्रत्येक क्षेत्र की लोक विधाओं की प्रारम्भिक जानकारी जनता को प्रदान किये जाने हेतु ओरियेन्टेशन केबिन में एक रिवाल्विंग पैनल की व्यवस्था की गयी है।
शैक्षिक गतिविधियों के अन्तर्गत माह जून में ग्रीष्मकालीन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत विविध प्रकार की लोक कलाओं यथा- मेंहदी, अल्पना, पाट डेकोरेशन, फ्लावर डेकोरेशन, कलश एवं आरती थाल सज्जा कला, बंबू कला, बंधनवार व बटुआ आदि बनाने की विधियॉ बताई गई। इसी क्रम में माह जुलाई में कार्यशालाओं का प्रदर्शन, माह अगस्त में लोक कला पर व्याख्यान, माह सितम्बर में ब्रज की सांझी कला विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसी प्रकार माह अक्टूबर में भित्ति चित्र विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसी प्रकार माह अक्टूबर में भित्ति चित्र प्रतियोगिता व माह नवम्बर में बाल चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
1. | प्रवेश शुल्क | निःशुल्क |
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2. | साप्ताहिक अवकाश | सोमवार |
3. | अन्य अवकाश | द्वितीय शनिवार के पश्चात आने वाला रविवार तथा अन्य राज्यपत्रित अवकाश |
4. | भ्रमण समय | १०:३० पूर्वान्ह से ४:३० अपरान्ह |
5. | दूरभाष | 0522-2274638 |