उद्देश्य
उत्तर प्रदेश की समृद्घ एवं सत्त गतिशील संस्कृति के विविध तत्वों के संरक्षण, पोषण, प्रचार, प्रसार एवं सकारात्मक पक्षों का उन्नयन।
लक्ष्य (मिशन)
- प्राचीन स्थलों, स्मारकों, प्रतिभाओं, वास्तु-अवशेषों, अभिलेखों आदि पुरा-सम्पदा को संरक्षित तथा अभिलिखित करना।
- विभिन्न अंचलो की शास्त्रीय, लोक एवं जनजातीय पंरपराओं का संरक्षण, नवीनीकरण, प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन।
- विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के संवर्धन एवं उन्हें लोकप्रिय बनाने के उपाय करना।
- संगीत, नृत्य, नाटक एवं ललित कलाओं की परम्परा बनाये रखने हेतु शिक्षण एवं शोध को बढ़ावा देना तथा उक्त विधाओं के कलाकारों को रचनात्मक अभिव्यक्ति के अवसर प्रदान करना।
- प्राचीन संस्कृति, पुरातत्व तथा संग्रहालय सम्बन्धी शोध को आगे बढ़ाना।
- उपर्युक्त कार्यकलापों से सम्बन्धित प्रकाशनों द्वारा उक्त कार्यो को प्रोत्साहित करने तथा शोध - सम्बन्धी निष्कर्षो को स्थायी रूप से अभिलिखित करना।
- सांस्कृतिक विकास हेतु आवश्यक आधारभूत संसाधनों की स्थापना, विस्तार, आधुनिकीकरण हेतु आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना।
- राष्ट्रीय नेताओं /महापुरूषों के सम्मान/स्मृति को अक्षुण्ण बनाने की दिशा में आवश्यक कार्य करना। वृद्घ एवं विपन्न कलाकारों के कल्याण हेतु आवश्यक सहयोग प्रदान करना।
- प्रदेश की उन विभूतियों को सम्मानित करना, जिन्होंने अपने कृतित्वों से प्रदेश का नाम गौरवान्वित किया है।
- प्रदेश के प्रतिष्ठित कलाकारों, विशिष्ट व्यक्तियों एवं प्रतिभाओं को समय समय पर पुरस्कार एवं अन्य सम्मानों से अलंकृत करना।
कार्यकलाप
- पुरातात्विक, ऐतिहासिक, कलात्मक और वास्तुगत महत्व के स्मारको, स्थलों एवं पुरा-सामग्री का सर्वेक्षण, संरक्षण, संग्रह तथा अनुरक्षण करना।
- पुरातत्व सम्बन्धी अन्वेषण, उत्खनन तथा प्रकाशन करना।
- प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों, मण्डलीय एवं जिला स्तरीय कार्यालयों एवं अद्घशासकीय संस्थाओं में उपलब्ध अभिलेखो को अभिलेखागारों में संग्रहीत कर उनका संरक्षण एवं अभिलेखीकरण करना तथा उन पर शोध एवं प्रकाशन कराना।
- उपर्युक्त विषयों में लोकरूचि जगाने हेतु च्शैक्षिक कार्यक्रम, प्रर्दशनी, संगोष्ठी जैसे आयोजन करना।
- संगीत एवं ललित कला के क्षेत्र मे छात्रवृत्ति प्रदान करना तथा कलाकारों के लिये कल्याणकारी योजनाओं का संचालन करना।
- प्रदेश के विभिन्न अंचलों में समय-समय पर संगीत, नृत्य एवं नाटक आदि संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना, उनके माध्यम से प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ-साथ नवोदित कलाकारों को अपनी प्रतिभा के प्रर्दशन के अवसर देना तथा अपनी संस्कृति के सकारात्मक पक्षों से जनमानस को जोड़ना।
- जनमानस मे राष्ट्रीय नेताओं और महापुरूषों की स्मृति बनाए रखकर उनसे प्रेरणा पाते रहने के अवसर प्रदान करने हेतु उनकी मूर्तियां बनवाना।
- शास्त्रीय संगीत की तीनों विधाओं-गायन, वादन एवं नृत्य तथा उपशास्त्रीय गायन में शिक्षण प्रदान करना।
- ललित कलाओं एवं कलाकारों के प्रोत्साहन एवं उन्नयन हेतु कला-प्रदर्शनियों का आयोजन, पुरस्कार, अनुमोदन और छात्रवृत्तियां प्रदान करना, व्याख्यान, सेमिनार, संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं का आयोजन कराना, कला सम्बन्धी प्रकाशन तथा कलाकृतियों के विक्रय के उपाय करना।
- लोक संगीत, नाटक एवं लोक-नृत्य की परम्पराओं का संवर्द्वन, संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार करना।
- नाट्य-प्रशिक्षण प्रदान करना।
- जनजातीय एवं लोक कलाओं के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रर्दशन के कार्य कराना।
- महापुरूषों के व्यक्तित्व एवं कृत्तिवों से नयी पीढ़ी को प्रेरित करने, उनकी स्मृति को अक्षुण्ण बनाने के लिए जन्मशती/वर्षगांठ कार्यक्रम का आयोजन।
हमारे ग्राहक
- सामान्य, प्रबुद्ध एवं शोध-कार्यों में रूचि रखने वाले नागरिक, सांस्कृतिक एवं अन्वेशक समुदाय तथा अशासकीय एवं अर्द्धशासकीय संस्थान।
- केन्द्र एवं राज्य सरकार के मंत्रालय / विभाग और संगठन।
- विश्वविद्यालय, शोध-संस्थाएं पुस्तकालय तथा शोध-छात्र।
हमारी सेवाएं
- अधोलिखित योजनाओं के माध्यम से सहायता अनुदान के द्वारा कला एवं संस्कृति का परिरक्षण, संवर्धन, प्रसार।
- जनजातीय / लोक कला और संस्कृति का संवर्धन एवं प्रसार।
- प्राचीन संस्कृति के विविध पक्षों आदि का अध्ययन, संवर्धन एवं प्रसार।
- प्राचीन विरासत तथा स्मारकों, स्थलों, पुरावोशों का संरक्षण एवं अनुरक्षण।
- प्राचीन अभिलेखों को सुव्यवस्थित ढंग से रखने एवं उनके वैज्ञानिक संरक्षण के लिए परामर्श देना।
- प्रदर्शनियों, व्याखयानों, संगोष्ठियों और सेमिनारों के माध्यम से विभागीय कार्य-कलापों तथा उनकी प्रमुख उपलब्धियों के विषय में सामान्य एवं प्रबुद्धजनों को अवगत करना।
- शास्त्रीय, लोक एवं जनजातीय संगीत, नृत्य एवं नाट्य विधाओं में शिक्षण प्रदान करना।
- कला-प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए आर्थिक सहायता, कला गतिविधियों के लिए बीथिका एवं श्रोतागार की सुविधाएं उपलब्ध कराना।
- समय समय पर कलाकारों को पुरस्कार प्रदान करना एवं यथोचित सम्मान देना।
- बौद्ध, जैन, अयोध्या सम्बन्धी शोध तथा तद्सम्बन्धी प्रकाशनों के लिए अनुदान प्रदान करना।
- लोक, जनजातीय एवं भास्त्रीय कलाओं को प्रोत्साहन, उन्नयन एवं संवर्धन हेतु कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं आदि के माध्यम से अवसर प्रदान करना।
- वृद्ध एवं विपन्न कलाकारों को मासिक पेंशन प्रदान करना।
- राष्ट्रीय एवं लोक नायकों की प्रतिमाएं बनवाना।
- पुरातत्व सम्बन्धी अन्वेशण तथा उनके परिणामों को प्रकाशित करना।
विभाग द्वारा संचालित सहायता योजनाएं
- वृद्ध एवं विपन्न कलाकारों को आर्थिक सहायता।
- प्रेक्षागृह निर्माण, विस्तार, आधुनिकीकरण आदि के लिए आर्थिक सहायता।
- राज्य ललित कला अकादमी, उ०प्र० द्वारा प्रतिवर्ष नवोदित कलाकारों को एक वर्ष के लिए छात्रवृत्ति तथा एकल प्रदर्शनी के आर्थिक सहायता।
- संस्कृति विभाग, केन्द्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के लिए प्रदेश के कलाकारों एवं गैर-सरकारी सांस्कृतिक संगठनों के आवेदनों का परीक्षण कर संस्तुति एवं अग्रसारण।
संगठनात्मक ढांचा
विभाग के कार्यकलापों का कार्यान्वयन, तीन निदेशालयों, उनकी अधीनस्थ संस्थाओं तथा स्वायत्त संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है। इनका विवरण निम्नवत् हैः-
संस्कृति निदेशालय :
- इस निदेशालय द्वारा अधीनस्थ शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं का नियन्त्रण, निदेशक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, वृद्ध एवं विपन्न कलाकरों को पेंशन प्रदान करने, विशिष्ट व्यक्तियों की मूर्ति बनवाने, महापुरूषो के सम्मान में जम्मशती/वर्षगांठ समारोह, यशस्वी कलाकारों को सम्मानित करने, प्रदेश की पुरा-सामग्री को सर्वेक्षित कर पंजीकृत करने का कार्य प्रमुख रूप से किया जाता है।
अधीनस्थ कार्यालय :
1. उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार -
यह कार्यालय लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी और आगरा स्थित इकाईयों के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों, मण्डलीय एवं जिला स्तर के कार्यालयों एवं अर्द्धशासकीय संस्थाओं तथा व्यक्तिगत संग्रहों में उपलब्ध पाण्डुलिपियों एवं अभिलेखों के एवं संरक्षण, परिरक्षण, उन पर शोध की सुविधायें देने, तद्सम्बन्धी सूचनाएं उपलब्ध कराने, उक्त अभिलेखों के अभिलेखीकरण तथा उपर्युक्त संस्थाओं को अभिलेखों के संरक्षण का प्रशिक्षण प्रदान करने का कार्य करता है।
2 भातखण्डे संगीत संस्थान (सम विश्वविद्यालय) -
संस्थान द्वारा शास्त्रीय (गायन, वादन, नृत्य) संगीत की तीनों विधाओं में बी० म्यूजिक, एम० म्यूजिक एवं पी०एच०डी० डिग्री/उपाधि तथा प्रथमा, मध्यमा, विशारद, निपुण एवं उप शास्त्रीय गायन (ठुमरी) में सर्टीफिकेट, डिप्लोमा तथा लोकनृत्य में तीन वर्षीय प्रवीणता, पाठ्यक्रम संचालित किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत अभिरूचि एवं संगीत संध्या के आयोजन कराते है।
3 राज्य ललित कला अकादमी -
यह संस्था, उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय/अन्तर्राद्गट्रीय स्तर की कला प्रदर्शनियां एवं पुरस्कार वितरण, कला-प्रदर्शनियों के लिए आर्थिक सहायता, प्रतिभाशाली कलाकारों को उच्च शिक्षा हेतु छात्रवृत्तियां, कला सम्बन्धी व्याखया, संगोष्ठी, सेमिनार तथा शिविरों का आयोजन, स्थायी कला-संग्रह हेतु कला कृतियों का क्रय करने, कला पुस्तकालय एवं वाचनालय सुविधाएं प्रदान करने, कला सम्बन्धी प्रकाशन कराने, कला-गतिविधियों के लिए बीथिका एवं श्रोतागार सुविधायें उपलब्ध कराने के कार्य करती हैं।
4 उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी करती हैं -
यह अकादमी, उत्तर प्रदेद्गा के संगीत, नृत्य, नाटक, लोक संगीत, लोक नाट्य की परम्पराओं के प्रचार-प्रसार, संवर्धन-परिरक्षण, अभिलेखीकरण एवं प्रकाद्गान नवोदित प्रतिभाशाली युवा कलाकारों को प्रोत्साहन प्रशिक्षण, प्रतिष्ठित कलाकारों को सम्मानित करने, नवोदित कलाकारों की प्रतियोगिता आयोजन तथा संगीत-नाटक एवं नृत्य सम्बन्धी कार्यक्रमों का आयोजन, सम्बन्धित अभिलेखों का अभिलेखागार एवं पुस्तकालय की सुविधाएं उपलब्ध कराती है।
5 भारतेन्दु नाट्य अकादमी -
यह अकादमी द्विवर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम के अन्तर्गत छात्रों को नाट्य विधा के विभिन्न पक्षों में प्रशिक्षण प्रदान करने तथा नाट्य प्रस्तुतियां कराने तथा कार्य-शालाओं का आयोजन का कार्य करती है।
6 आचार्य नरेन्द्र देव अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध विद्या शोध संस्थान -
संस्थान के प्रमुख उद्देश्य भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों में बौद्ध धर्म, दर्शन, कला, पुरास्थलों, स्मारकों आदि के अध्ययन,शोध, प्रकाशन, तद्विषयक व्याखयान/संगोष्ठी/सेमिनार के आयोजन, शोध हेतु पुस्तकालय, छात्रवृत्ति अध्ययन, वृत्ति, यात्रा वृत्ति उपलब्ध कराना है।
7 अयोध्या शोध संस्थान -
यह संस्थान अयोध्या के इतिहास, यहाँ की सांस्कृतिक परम्पराओं, प्राचीन संस्कृति एवं उसके विविध आयामों के अभिलेखीकरण, संरक्षण, संवर्धन, प्रोत्साहन, प्रचार-प्रसार सांस्कृतिक कार्यक्रम, व्याख्यानों, संगोष्ठियों, सेमिनार जैसे आयोजन एवं प्रकाशन कराता है।
8 जैन विद्या शोध संस्थान -
इस संस्थान का मुखय उद्देश्य भारत के विभिन्न भागों के जैन धर्म से संबंधित विभन्न पक्षों का राष्ट्रीय संदर्भ में अध्ययन, तद्सम्बन्धी शोध, उनकी आधारभूत मान्यताओं, मूल्यों, कला अवशेषों के संरक्षण एवं विश्लेषण, प्रोत्साहन, प्रचार-प्रसार, व्याख्यान, संगोष्ठी, सेमिनार एवं कार्यशालाओं के आयोजन तथा शोध की सुविधाएं प्रदान करना है।
9 जनजाति एवं लोक कला संस्कृति संस्थान -
इस संस्थान के उद्देश्य जनजातीय एवं लोक संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रदर्शन, तद्सम्बन्धी सर्वेक्षण एवं अभिलेखीकरण, प्रोत्साहन, प्रशिक्षण एवं प्रकाशन कराना तथा व्याख्यान, संगोष्ठी, सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं प्रदर्शनियों, शिल्पमेलों के आयोजन जैसे कार्य सम्पादित करने हैं।
10 राष्ट्रीय कथक संस्थान -
यह संस्थान राष्ट्रीय स्तर पर कथक के विभिन्न घरानों की परम्पराओं के अभिलेखीकरण, युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहन, वरिष्ठ कलाकारों का संरक्षण एवं कथक नृत्य के संवर्धन हेतु प्रशिक्षण-कार्यशालाओं तथा तद्सम्बन्धी कार्यक्रमों का आयोजन कराता है।
11 उत्तर प्रदेश पुरातत्व निदेशालय -
यह संस्था लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, झांसी और आगरा स्थित निदेशालय एवं क्षेत्रीय इकाईयों के माध्यम से प्रदेश की पुरातात्विक महत्व के स्थलों, स्मारकों/स्थलों के संरक्षण एवं अनुरक्षण, सर्वेक्षण/उत्खनन/अनुरक्षण की उपलब्धियों सम्बन्धी कार्यो के प्रकाशन तथा प्रदर्शनियों, व्याखयान, संगोष्ठी, सेमिनार आयोजनों द्वारा शोध कार्यो को बढ़ावा देने एवं पुरातत्व के प्रति लोक रूचि जागृत करने के कार्य सम्पादित कराती है।
12 उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय -
प्रदेश के समस्त संग्रहालयों के विकास, प्रभावी नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण आदि का दायित्व निर्वहन हेतु निदेशालय की स्थापना की गयी है। संग्रहालय सांस्कृतिक सम्पदा, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहरों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने का वह केन्द्र है, जहाँ प्राचीन कलाकृतियों को संग्रहीत कर राष्ट्र के अतीत की गौरवशाली संस्कृति का दर्शन, भोधार्थियों, बुद्धिजीवियों तथा सामान्य जनमानस को कराया जाता है। संग्रहालय का कार्य कलाकृतियों का संग्रह करना, संरक्षित करना, शोध करना तथा उन्हें प्रदर्शित करना है। संग्रहालय वर्तमान में अनौपचारिक शिक्षा का केन्द्र भी है, जो समय-समय पर प्रदर्शनियां व्याखयान तथा संगोष्ठी आयोजित कर समान्य जन में शिक्षा प्रसार का कार्य भी करते हैं।
नागरिकों से हमारा अनुरोध -
कृप्या हमारे कार्य-कलापों के संदर्भ में हमारे प्रकाशन तथा निम्नांकित वेब साइट का अवलोकन करने का कष्ट करें।
हमारी प्रतिबद्धता -
संस्कृति के विभिन्न पक्षों के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रोत्साहन, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं शोध, कलाकारों एवं सांस्कृतिक संगठनों के सकारात्मक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए हम प्रतिबद्ध है।
नागरिकों के शिकायतों के निवारण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता -
विभाग को प्राप्त जन-शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए संयुक्त सचिव संयुक्त सचिव का पद रिक्त होने पर विशेष सचिव, उ०प्र० भासन, जैसी स्थित हो, नामित अधिकारी है। सुझाव एवं शिकायतें निम्नलिखित पते पर भेजी जा सकती हैं।